Saturday, July 26, 2014

सिग्नल

आते
तो
हैं
दिन रात
सोते जागते
हर वक्त
कितने ही
सिग्नल
तुम तक,

तुम्हारे
मस्तिष्क का
रेडियो ही
न हो
ट्यून
तो
किसका
कुसूर!

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