खुली खिड़की से जो भिगो दिए बारिश नें ओशो की किताब के पन्ने,
सूखने पर फूल गए,
नादान दुकानदार नें करोड़ों का खज़ाना कौड़ियों में बेच नुकसान बचा लिया।
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