शुक्र है नानी की कहानियों वाले बेइंसाफ़ी के बड़े बड़े घंटे अब नहीं होते,
रहते दिन भर बजते।
कैसे सुनती उनकी भयानक निराशाजनक आवाज़ में मुझे मेरे स्कूल की घंटी!
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