Thursday, July 24, 2014

घंटी

शुक्र है
नानी
की कहानियों
वाले
बेइंसाफ़ी
के
बड़े बड़े
घंटे
अब
नहीं
होते,

रहते
दिन भर
बजते।

कैसे
सुनती
उनकी
भयानक
निराशाजनक
आवाज़ में
मुझे
मेरे
स्कूल की
घंटी!

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