Sunday, July 27, 2014

तरखान

खाली हाथ हूँ
कोई बात नहीं है,
नहीं कोई औज़ार मेरे पास
मलाल नहीं है,

शब्दों
के तीखेपन से ही
घड़ लूँगा
जज़बातों की लकड़ी,
भाषा की बाँसुरी
बना लूँगा।

खेल आँख मिचोनी
सम्भावनाओं की
सुरंगों के मुहाने पर
छटपटाहट की
उँगलियों से,
हौसलों की साँसों से
सही धुन
बजा लूँगा,

तरखान हूँ
आवाज़ों का
वर्णों का ही
रेती रंदा
बना लूँगा,

खाली हाथ हूँ
कोई बात नहीं है,
नहीं कोई औज़ार मेरे पास
मलाल नहीं है।

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