Monday, July 28, 2014

चिड़िया

चिड़िया
से
फंस गए हो
काँच की
चारदीवारी में
तुम्हें पता नहीं,

आज़ाद भी हो
हमेशा के लिए
और फिर भी नहीं,

हो रहे हो
ज़ख्मी
टकरा टकराकर
ज़ोर ज़ोर से,
बार बार,
निकल भागने की
छटपटाहट में,

बेचारे हो
बच्चे,
तुम्हारे
पंखों के
हाथ में
कुछ भी नहीं,

करे
रहम ख़ुदा,

कुछ
जगाये तुम्हें
करिश्मे की
तरह,

कुछ
दिखाये तुम्हें
निकल जाने का
रास्ता
जो
वहीँ हैं करीब
खुला।

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