रास्ते पर आज इत्तेफ़ाकन तुम्हारा बनाया धरती सा पत्ता और उस पर तैरती तुम्हारी बनाई कायनात सी ओस की पारदर्शी बूँद देखी,
गर थे वो दोनों पलक और आँख तुम्हारे,
तो या ख़ुदा आज तुम्हें देख लिया।
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