साँसों की तितलियाँ
Wednesday, February 12, 2014
ग़ज़ल
कह डालो,कहते रहो हर गज़ल ए आरज़ू का मतला,
है अज़ीम ओ शान वो शायर, कुछ मकता सोच लेगा
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