साँसों की तितलियाँ
Monday, February 17, 2014
दुनियाँ
कितनी दुनियाँ अभी और, मेरी इस दुनियाँ में हैं
मयस्सर इस बात पे, कितना ख़ुदा और मेरे ख़ुदा में है
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