Thursday, February 20, 2014

मिट्टी

कहते थे जो अर्श से कि मिट्टी तू क्यों नहीं उड़ती?
पहुँचे ज़ीर ए ज़मीं*, तस्लीम किया, हाँ तू ही थी उड़ती ।
* underground

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