साँसों की तितलियाँ
Saturday, February 15, 2014
पैरों तले
मैं रखता रहा वसूख से ता-उम्र जिन्हें पैरों तले ,
उठाई उन्हीं नें हस्ती मेरी,
हर
सहर से शब ढले |
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