आलिंगन में
हूँ तेरे
जैसे बेल हूँ
तेरी,
डूबा हूँ
तुझमें
जैसे
भँवर तू मेरी,
उड़ता हूँ
तुझसे
मेरा चक्रवात
है तू,
चमकता हूँ
तुमसे
जब गिरते हो मुझपे
बन बिजलियाँ कड़कती,
ले जाओ बहा
अपनें समन्दर
कश्ती की तरह
लहरों पे अपनी,
कर दो
सुर्खरू
भरो माँग मेरी
चाहत से अपनी ।
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