ताउम्र पहनने के बाद हिजाब, की इल्तेजा, कफ़न गर काला न देते बेहतर था |
हक मेहर इतना तो अदा करते आँखों की जगह रखते इसकी भी खुली इनायत करते |
लगता हमें अभी ज़िन्दा हैं पर्दा ही तो है हवा के पीछे न सही ज़मीन के नीचे
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