रास्ते बन चुके
सारे
सवाल |
पगडंडियाँ ही हैं
अब जवाब,
आओ
ढूँढें
चलें |
घड़ियाँ
पुरानी
उन्हीं पर
होंगी पड़ी
अभी भी
चलती
सही |
दें चाबी
फिर,
करें
सही वक्त
और पहनें
सजायें
रेखाओं वाले
हाथ की
वही कलाई|
रास्ते बन चुके
सारे
सवाल |
पगडंडियाँ ही हैं
अब जवाब,
आओ
ढूँढें
चलें |
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