भूकंप के झटके
इन्टरनेट से हो
अखबारों से गुज़र
दीमागों तक पहुँचे
मीलों दूर|
मदद के हाथ
पहुँचे
बैंकों से निकल
ड्राफतों पर बैठ
लिफ़ाफ़ों पर चढ़
टिकेट से लिपट
राहत कोष
की सुरंग से
भूकंप के केंद्र
में
माफ़िया तक |
दबे हुए
रहे दबे
कोई न बोला |
पीछे
सबको
मिल गयी
सुकून की साँस
रसीद
और
टैक्स छूट |
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