आवाज़ों ने पकड़ लिया डाल बाज़ुएँ मेरे कानों से,
आँखों से नज़ारों ने जकड़ लिया,
ज़ुबान पर था ताला अचम्भे का,
रह गया मैं खड़ा, जड़, निःशब्द ।
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