Friday, July 18, 2014

निःशब्द

आवाज़ों
ने
पकड़ लिया
डाल
बाज़ुएँ
मेरे
कानों
से,

आँखों से
नज़ारों ने
जकड़
लिया,

ज़ुबान
पर
था
ताला
अचम्भे का,

रह
गया
मैं
खड़ा,
जड़,
निःशब्द ।

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