Saturday, July 19, 2014

जय

करते थे
जय,
लगाकर
माथे से,
जो
लग जाता था
कभी
पैर
किसी किताब को,

अब
किताब
चूमती है माथा,
पकड़कर
चेहरा,
जो
कभी
लड़खड़ा जाते हैं
पैर।

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