साँसों की तितलियाँ
Sunday, July 20, 2014
एसाइलम
पागलों
की
बस्ती
में
मुझे
नहीं
रहना,
किसी
सभ्यता
का
एसाइलम
हो जाए
मंज़ूर
तो
चलूँ।
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