गिन कर कविताएँ लिखे कौन,
सम्भल कर जज़्बात छेड़े कौन,
करता है जी तो कुरेदता हूँ सूखे ज़ख्म, मीठे दर्द से मुट्ठियाँ भरता हूँ।
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