साँसों की तितलियाँ
Monday, July 21, 2014
ऊन
उलझ
गई है
ऊन सी
ज़िन्दगी,
कैसे
सुलझाऊँ,
कैसे
बुनू
एक
अदद
स्वैटर,
ठिठुरते
अस्तित्व
को
गरमाऊँ।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment