Monday, February 10, 2014

धर्म संकट

"हे ईश्वर
अब क्या करूँ”
वो बोल पड़ा -
हक्का बक्का
चेहरा ज़र्द
मन स्तब्ध
पैर जड़ ।

"और”
उसने सोचा
"सोचना भी
जल्द पड़ेगा
क्योंकि
देव देख रहे हों
या न
लोग सारे
देख रहे हैं ।

कहाँ तो
देखा था
सबनें
मुझे
देव के आगे
इस कदर
नतमस्तक होते
पीढ़ा रोते
मिन्नत करते
गिड़ गिड़ाते
हाथ जोड़
करते प्रार्थना.....
और कहाँ
वो देख रहे हैं
बटुआ मैंने खोला रखा है
अंदर उसके देख रहा हूँ
सोच रहा हूँ
1000, 500, 100
के बीच
देव को चढ़ानें
छोटा नोट कहाँ है
.....नहीं है
....क्यों नहीं है??

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