Sunday, February 9, 2014

फिर

उतरनें दूँ
ये लहर
चाँद को
जानें दूँ ।

बादलों पर लिखी
हर बात
हवाओं को
मिटानें दूँ ।

समेटनें दूँ
सब तारे
रात को
सोनें दूँ।

फिर डूबूँ
इस सागर में
फिर कलम भरूँ ।

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