साँसों की तितलियाँ
Monday, February 10, 2014
सलाम
धरती
घूमी
अपनी धुरी,
मैं अपनी
परिक्रमा
कर आया ।
उसकी बाकी
अभी
रात की सुबह,
मैं सुबह
सलाम
कर आया
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