माँ आपका प्रसाद पहुँचा जिव्हा तक, रोम रोम झिझुर गया!
आपके हर इस रोम को प्रणाम |
करिये दूर बस जो ज़रा सी है कड़वाहट पीछे मुहँ में, कहिए भक्तों को पकायें आइंदा सिर्फ़ ईमान के तेल में|
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