Sunday, March 16, 2014

होली

आओ खेलें
जज़्बों की होली,
उड़ायें
रंगो लफ़्ज़,
सोच का लाल आस्मां
हरा पीला करें।

वजूद के
चेहरे पर
मलें
आरज़ू का गुलाल,
मिलें
माज़ी से गले
पशेमानियाँ
आज़ाद करें।

करें मीठा
मुहँ
आज का,
मुस्तकबिल
का
इस्तकबाल करें।

भिगोयें
रूह
नए पानी से,
बदन से
उमंगों के
पैरहन*       (*कमीज़,वस्त्र, पोशाक)
चिपकनें दें|

हटायें
आफ़ताब*           (*सूरज)
से अब्र**            (**बदल)
धनक #              (#rainbow)
आँखों में
उतरनें दें।

पहचान
न पाएँ
ख़ुद को
आज के बाद,
कुछ ऐसी
ज़िन्दगी को
रवानी*  दें |        (*बहाव, तेज़ी)

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