Saturday, March 29, 2014

ख़त

नहीं मिला
अभी
वो
ख़त ए
ख़ुसूस*           (*ख़ास,विशेष)
लिखा है
जिसमें
"बस
इतना
बचे हो
और" ।

यकीन
दिलाये
जो
कोई
कि
मिलेगा
भी नहीं,
तो
जीऊँ
मुर्दादिली
से मैं |

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