नहीं मिला अभी वो ख़त ए ख़ुसूस* (*ख़ास,विशेष) लिखा है जिसमें "बस इतना बचे हो और" ।
यकीन दिलाये जो कोई कि मिलेगा भी नहीं, तो जीऊँ मुर्दादिली से मैं |
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