चौराहे के खम्बे बिजली बत्तियां ही बताएँ तो चले पता कि कब रुकें कहाँ किधर कब चलें।
भीतर के खम्बे तो सारे गिर चुके कब के, बत्तियाँ सब बुझ चुकीं।
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