आई है फर्ज़ की सौम्य पुकार, ऊँची और स्पष्ट, करूँगा ज़रूर पूरी हूँ वचनबध्द।
है मेरे लिए यह ख़ुदा का फ़रमान, दिन हो या रात करूँगा पूरा होनें न दूँगा उसे मायूस, भले देनी पड़े जान।
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