Saturday, March 22, 2014

कैसे

जब आती है
आखिरी बार
मिलनें
कैसे आती है?

आती है
उछलते
भागते
नाचते
या
हया को
दबे पाँव
लाती है!

कैसे
आती है?

आती है
आधी रात
छुपते
छुपाते
या
दिन उजाले
सामनें सबके,
आती है
उसके
आनें की
आहट
या
उतार वो
पाज़ेब
आती है!

रूकती
छिपती है
कहीं
किसी
दम की चिलमन,
खड़काती है
दरवाज़ा
या अन्दर आ
पीछे से
ठंडे
हाथों
आँख मिचोती है?

कैसे आती है?

कहती है
क्या,
कानों में
बताती है,
देती है
कुछ
तैयारी का
वक्त
या
तैयार आती है?

क्या
दिखाती
सुनाती है
आँखों की पुतलिओं
कानों के पर्दों को,
देह की चादर पे
क्यों सहलाती है!

थामती है
हाथ
जब प्यार से
बार आखिरी
बाहर लाती है
कहलवाती है
अलविदा
जहाँ को
कैसे,
कैसे समझाती है।

करती है
क्या क्या
झूठे वादे
दिल बहलाती है,
बुझाती है
कैसे
आँखों के दीये
कैसे फूँक से
सपनें सुलाती है!

जब
जाती है
बार आखिरी
मेरी
जान
कैसे जाती।

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