साँसों की तितलियाँ
Thursday, March 13, 2014
तिजारत
बदल गया बशर तेरी तिजारत का निज़ाम कैसा
कभी पैसे से खरीदता था ज़िन्दगी, आज ज़िन्दगी से पैसा
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