विशालकाय
भीमकाय
दैत्यकार
स्थूल,
सदियों से लेटे
एक ही करवट,
पहाड़
के पैरों
में
लिपटा
मीलों लम्बा
अजगर।
अजगर की
पीठ पर
निडर हो
दौड़ती
माचिस
की डिबिया,
उस डिबिया
में
अकड़ कर
बैठा
फंसा
मैं
डिबिया का मालिक,
भरे
डिबिया की
डिक्की में
गलत फहमियों
की पोटली
अजगर से लम्बी
पहाड़ से ऊँची।
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