भीड़ जिस्मों की रही थी तेज़ तेज़ चल सड़कों पर जल्दी में कुछ काम से जानें क्या कहाँ क्यों !
रूहें उनकी थी आ रहीं मस्ती में पीछे धीरे धीरे मिलते खुलूस से आपस में गले
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