ईश्वर ले गया निकाल अपनी तस्वीर मेरी कार के डिविनिटी मन्दिर से।
चलता हूँ चलाता हूँ अब सिर्फ़ अपनें ही भरोसे ध्यान से।
देखता है मुझे वो दूर ही से हो कर खुश, होने पर मेरे स्वावलम्बी।
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