Sunday, June 1, 2014

तंदूर

लगेगा
सूरज के
तंदूर को
अब
कुछ तो
वक्त,
जलकर
फिर
जलानें में,

बादलों
ने तो,
कल रात,
रात की बातों में आ
जलती ज़मीन
की पीठ पर
बरसात फेर दी!

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