रणभूमि में
तलवारों के
टकराने की
आवाज़ से
याद आईं
आवाज़ें
रेस्तरां में
प्लेटों
चमचों
छुरी
काँटों के
टकराने की।
योद्धाओं
की ललकार,
हाथियों के
चिंघाड़ने,
घोड़ों की
हिनहिनाहट
से
आई
याद
रेस्तरां में
ललकारते
चिघाड़ते
हिनहिनाते
सामाजिक
जानवरों की।
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