Sunday, June 8, 2014

रणभूमि

रणभूमि में
तलवारों के
टकराने की
आवाज़ से
याद आईं
आवाज़ें
रेस्तरां में
प्लेटों
चमचों
छुरी
काँटों के
टकराने की।

योद्धाओं
की ललकार,
हाथियों के
चिंघाड़ने,
घोड़ों की
हिनहिनाहट
से
आई
याद
रेस्तरां में
ललकारते
चिघाड़ते
हिनहिनाते
सामाजिक
जानवरों की।

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