साँसों की तितलियाँ
Monday, June 16, 2014
सरहदें
अपनी
सरहदों
तक
पहुँच
जाते हो
हर
दूसरे
रोज़,
किसी रोज़
जो
सरहदें
खुद आ
गुज़र
गईं
आपसे
तो कीजिएगा
क्या?
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