Friday, June 27, 2014

बाग़

आपके
शहर
के बागों
और
उनमें
गाती
कोयलों
का
कायल
होता,
गर

गूँजती
रह रह कर
कानों में
काँव काँव,
कूड़े
वाली
घाटी के
कौवों की।

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