Sunday, June 22, 2014

क्यों

क्यों
महज़
हर्फ़ों
को उठाने
को
तुम्हें काटूँ,

तेरी
डालियों के
पंछियों से
सुन लूँगा,
पत्तियों
से
पढ़ लूँगा,

फूलों की
महक से
साँसें,
तेरे फलों से
दामन
भर लूँगा।

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