क्यों महज़ हर्फ़ों को उठाने को तुम्हें काटूँ,
तेरी डालियों के पंछियों से सुन लूँगा, पत्तियों से पढ़ लूँगा,
फूलों की महक से साँसें, तेरे फलों से दामन भर लूँगा।
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