साँसों की तितलियाँ
Monday, June 30, 2014
हाथ
बाज़ार में
मदद को
हाथ
बहुत थे
पर
महँगे थे।
नुक्कड़ पर
मिला
एक
मुफ़्त
का
हाथ,
मुझे
खरीद
गया।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment