पापा अभी भी है वहीँ वो चट्टान जहाँ से आपकी जीप गिरी थी किन्नौर में,
खड़ा हूँ पूछता उससे आपका पता, भरी दोपहर कहती है अंधेरा है बहुत, हाँ मगर गई है नीचे यहीं से कोई चीज़ अभी अभी ।
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