Saturday, June 28, 2014

घड़ी

चौबीसों
घंटे,
बना
मुद्राएँ
भिन्न भिन्न,
बाज़ुओं से
दोनों,
कहती
हो
क्या?

बदलता
गुज़रता
वक्त
मिटाती हो
हाथों से
करती
कालजयी
नृत्य,

बदलती हो
घड़ी घड़ी,
पकड़ हाथ
समझाती हो
क्या?

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