Wednesday, June 4, 2014

शपथ

मैं
इंसान मनुष्य मानव
ईश्वर की
शपथ लेता हूँ
कि
मैं
ब्रह्मंडीय विधि द्वारा स्थापित
कुदरत के विधान के प्रति
सहज श्रद्धा
और मासूम निष्ठा रखूँगा ।

मैं
परम सत्य की अनुभूति
सदैव अक्षुण्ण रखूँगा।
इस धरा के
चुने जीव के रूप में
अपने अस्तित्व के अर्थ का
श्रद्धा पूर्वक और शुद्ध अंत:करण से
निर्वहन करूँगा।

मैं
भय या पक्षपात
अनुराग या द्वेष के बिना
सभी प्रकार के
जीवों एवं निर्जीवों के प्रति
परम विधान और विधि के अनुसार
प्रेम करूँगा।

मैं
इंसान मनुष्य मानव
ईश्वर की
शपथ लेता हूँ
कि
जो अनुभूतियाँ और परिदृश्य
धरा के जीव के रूप में
मेरे विचार के लिए
लाये जायेंगे
अथवा मुझे ज्ञात होंगे
उनसे
किसी जीव निर्जीव
अथवा स्वयं को
तब के सिवाय
जब के ईश्वर की रज़ा में
अपनें कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन
के लिए
ऐसा करना
अपेक्षित हो
मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में
व्यथा विचलित
या
प्रतिक्रियान्वित
नहीं करूँगा।

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