बस भी करो, अब खोदो मिट्टी, उतारो नीचे कंधे से, दफ़ना भी दो लाश अपनें भूत की,
नहाओ खुलकर झरनें में आज के,
पहनों भविष्य की धुली कमीज़
निकलो बाहर
दूर तक ज़रा घूम के आओ।
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