साँसों की तितलियाँ
Sunday, June 22, 2014
ज़िद
उनकी
आँखों में
अब
न
तीर है
न
नशा
कोई,
न
हमें
अब
मरनें
की ज़िद,
न
उन्हें
साक़ी
बनने
का शौक़।
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