Friday, June 20, 2014

सारा शहर

पूरे
शहर
के पुरुष
नहीं
कर पाये
स्त्री
आज भी
अपनी
पतलून
कमीज़।

आज फिर
हैं
बिजली
की आँखें
मुंदी,
सारा शहर
सिलवटों
में है।

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