Monday, June 16, 2014

फूल

उस
खम्बे
को भी
आज
छत को
जर्जर
दीवारों
के सहारे
कुछ वक्त
को छोड़,
हाथ नीचे कर
बाहर
आँगन में आ
टेंशन में
कश
लगाते देखा।

क्रान्ति
के विचारों
की
शाखाओं पर
फूलों को
खिलते
देखा।

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