भर के लाये पोटलियाँ दुआओं की गर्म मैदानों से ठण्डे पहाड़ों पर खानाबदोश,
सब लुटा, अशर्फियाँ समेट लौट गये।
जो थे यहीं के, दुआओं से थे अनजान, ठगे से रह गए।
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