Friday, June 27, 2014

घासनी

नैहर
के करीब
ऐसी ही
सड़क थी,
ऐसी ही
घासनी,
ऐसे ही
चराती थी
मैं
पूरी पूरी
दोपहर,
बाबुल
की गायें,
जैसे
हूँ
चराती
साठ साल
बाद भी
बेटे की,
मरनें के बाद
पति के।

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