Monday, June 9, 2014

तारा

वो
ऊपर
दूर
चाँद की बगल,
रात की
रौशन
गहरी
बैंगनी
सुरंग में
जो
नन्हा सा
इक
तारा है,

है जो भी
बैठा
उस तारे
के
शहर
की
गली में
ज़मीन पर,
देखता
सोचता
कि है क्या
कोई
बैठा
मेरे जैसा
यहाँ
बिन्दु सी
धरती पर
देखता
उसी को,
कह दो
उसे
कि
हाँ
मैं हूँ
मैं भी हूँ!!!

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