Thursday, May 29, 2014

दस्तक

पूरब के
दरवाज़े पर
सूरज की
पहली
किरण
की
दस्तक
से भी
पहले
वो जो
मुहँ अँधेरे
बाहर
घर के
चहचहाई थी
कोई
चिड़िया,

क्या
उसे भी
रात भर
नींद
नहीं आई थी,

या थी
उसकी भी
वही
कहानी,

पते पर
उसके,
किसी की
कविता,
किसी के नाम,
सवेरे
की
पहली डाक
आई थी।

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