Wednesday, May 21, 2014

यकीन

कभी कभी
तो
नहीं
होता था
यकीन
कि
खुदा
था भी
या नहीं।

फिर
जब
जाना,
पढ़ा,
कि
ख़ुदा के
दो बेटों
नें
की थी
बगावत सी
कि
तीसरे किसी
को
क्योंकर
बनाया
उत्तराधिकारी,
यकीन
आ गया,
हर
शको शुबा
धुल गया।

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