कभी कभी तो नहीं होता था यकीन कि खुदा था भी या नहीं।
फिर जब जाना, पढ़ा, कि ख़ुदा के दो बेटों नें की थी बगावत सी कि तीसरे किसी को क्योंकर बनाया उत्तराधिकारी, यकीन आ गया, हर शको शुबा धुल गया।
No comments:
Post a Comment